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Bewafa Shayari
ना जाने क्यों मगरूर हैं इस
ना जाने क्यों मगरूर हैं इस
ना जाने क्यों मगरूर हैं इस झुठी दुनिया के झूठे लोग,
वफ़ाएं कर नहीं सकते वादे हज़ार करते हैं .
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लगता है किसी ने दरवाज़े पर
खामोशियाँ कर दे बयां तो अलग
भूल जाना तुम मुझे पर ये
मैं जानता हूँ मेरी खुद्दारियां तुझे
मुझे मालुम हे वह किसी और
में तो हर बार पीछे मुड़
हमे जब नींद आएगी तो इस
हो जाऊं तेरे इश्क़ में मशग़ूल
हमने खुशियोँ की तिजोरी उनके हवाले
बुलंदी की उड़ान पर हो तो
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