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Two Lines
Bewafa Shayari
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी...!
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हर रात को तुम इतना याद
काश वो भी बेचैन होकर कह
बदलता तो इंसान हैवक़्त तो सिर्फ
आज रात मैंने अपने दिल से
रख लेता शहर को अपनी जेब
शायरी करना भी तो एक नेकी
ना पीने की हजार वजहे है
सब तेरी मोहब्बत की इनायत है
भूल जाना तुम मुझे पर ये
तुम रख ना सकोगे मेरा तौफ़ा
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