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Two Lines
Bewafa Shayari
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ.
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी.
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Akele safar karke un dinno ki
मजिंल पाना तो बहुत दूर की
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दोस्ती और दुश्मनी मजेदार हैं बस
सुना है आग लग गयी है
अब किसी और से मुहब्बत करलू
quot;मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
उनको जाना था वो चले गए
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