हथेली पर रखकर नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है
अजीब फ़ितरत है उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है
Like (6) Dislike (0)
हथेली पर रखकर नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है
अजीब फ़ितरत है उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है
Your Comment