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Dard Shayari
छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया
छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया
छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया वो रातभर
जिस रोज घर उसके बिटिया ने जन्म लिया
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मोहब्बत की है quot;कोई कत्ल🔪 तो
मुझसे खुशनसीब है मेरे ये अलफाज
Kisi ladki ko chahna baad ki
आज तेरी गलियो से गुजरी है
अजीब जुल्म करती है तेरी ये
आईने से ले नहीं सकता कोई
मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म
तेरी तस्वीर की तारीफ करने से
उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब
तुम रख ना सकोगे मेरा तौफ़ा
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