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Dard Shayari
न जाने क्यूँ ये रात उदास
न जाने क्यूँ ये रात उदास
न जाने क्यूँ ये रात उदास कर देती है हर रोज
महसूस होता है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे
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सिर्फ एक बार चूमा था उसके
मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये ज़माना
रहता तो नशा तेरी यादों का
नींद आए या ना आए चिराग
quot; धडकनें इस दिल की कभी
दिल तो करता है चिर के
कभी न कभी वो मेरे बारे
जब भी देखता हुं हसते खिलखिलाते
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की
जरा बताओ तो किसे गुरुर है
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