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Dard Shayari
लाश पता नही किस बदकिस्मत की
लाश पता नही किस बदकिस्मत की
लाश पता नही किस बदकिस्मत की थी मगर
क़ातिल के पैरो के निशान बड़े हसीन थे
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वो वाकिफ है मेरी बुज़दिली से
अब इन पलकों का परदा न
हो सकती है जिंदगी में मोहब्बत
दोस्तों का क्या है वो तो
मांगी खुशियां मगर गम मिला प्यार
देर ना करना हो सके तो
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