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Dosti Shayari
उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब
उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब
उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब मुझे ज़माना हो गया है
मेरा ग़म भी बढ़ते बढ़ते और सुहाना हो गया है
Er kasz
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