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Two Lines
Hate Shayari
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ.
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी.
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उसने कहा भूल जाओ मुझे हमने
प्यार करता हु इसलिए Fikar करता
दिल दिया है तो दिल मिला
पलकों को अब झपकने की आदत
लफ़्जो को पिरोने का हुनर सिखा
तुमने मुझे छोड़ कर किसी और
कोई और गुनाह करवा दे मुझ
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी
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