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Inspirational Shayari
जब से पांव हमारे चादर के
जब से पांव हमारे चादर के
जब से पांव हमारे चादर के अन्दर हो गये
हम तो बिना जंग के ही सिकन्दर हो गये
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एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो
में खुद ही मेरा रहनुमा हु
उदास रहता है मोहल्ले की बारिशों
जरा सी अपनी सांसे क्या भरी
तेज़ आँधी में बदल जाते हैं
जिंदगी में पीछे देखोगे तो अनुभव
वो धागा ही था जिसने छिपकर
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल
करते वही हे जो हमेँ पसंद
कुछ बात है की हस्ती मिटती
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