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Kashish Shayari
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने.
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं
Er kasz
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