सहा जाता नहीं हमसे,कि किसी और का ताल्लुक भी हो तुम से
हवा से भी कह दो कि तेरे पास से हट कर गुजरे...

मेरा ईश्क हदें तब भूल जाता है जब लड़ते लड़ते वो कहती है
लेकिन प्यार मैं ज्यादा करती हूं तुमसे

बना लो उसे अपना जो तुम्हे दिल से चाहता है
खुदा कसम ये दिल से चाहने वाले बड़ी मुश्किल से मिलते है

आज रात मैंने अपने दिल से उसका रिश्ता पूछा
कम्बख्त कहता है जितना मैं उसका हूॅ उतना तेरा भी नही ..

सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग
एक नज़र हमको भी देख लो ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती

दिल की दुनिया कुछ इस तरह से उजडी है दोस्तोँ

कि उसने मोहब्बत का आदी बना कर प्यार करना छोड दिया

कमबख्त दिल तैयार ही नही होता उसे भूलने के लिए
मैं उसके आगे हाथ जोडता हूँ वो मेरे पैर पड़ जाता हैं

तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है
वरना हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है

तेरी यादों के संग बरसती रही अश्कों की बारिश.
भीग गई हथेलियाँ ढूंढते ढूंढते लकीरों में तेरा नाम.!Er kasz

!! गर मेरी चाहतों के मुताबिक ज़माने की हर बात
होती
तो बस मैं होता तुम होती और सारी रात बरसात
होती

अपने इन शरबती होठों को किसी रूखसार मे छुपा लो
मोहतरमा गर्मी का मौसम है शरबत की तलब लगी रहती है हमें

किसी को चाहो तो इस अंदाज़ से चाहो
कि वो तुम्हे मिले या ना मिले
मगर उसे जब भी प्यार मिले तो तुम याद आओ

तुम छोड़ गये मुझको पर मैं बदल ना पाया खुद को
बस तुम्हें ही सोचना तुम्हें ही चाहना मेरा आज भी जुनून है...

उम्र में,ओहदे में, कौन कितना
बड़ा है, फर्क नही पड़ता ।
लहजे में, कौन कितना
झुकता है, फर्क ये पड़ता है।। Er kasZ

अगर कुछ बनना है तो गुलाब बनो,
क्यों की ये फूल उसके हाथ में भी खुशबू छोड़ देता है,
जो इसे मसल कर फेक देता है,