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Sad Shayari
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र मेरा
हम भी देखें हम टूट कर कब तलक बिखरते हैं
er kasz
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राह देखते देखते जब थक जाती
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चाह कर भी पूछ नहीं सकते
#lrm;वो तो अपनी एक #lrm;आदत को
Gulshan Parast Hun Mujhy Gul He
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