वादा करके और भी आफत में डाला आपने
जिन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया
er kasz

हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं
कभी किस्मत से टूट जाते हैं कभी लोग तोड जाते हैं
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सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है
Er kasz

काँटा हूँ मैँ जिसे चुभता हूँ उसी का हो जाता हूँ
फूल नही जो हर भँवरे को चूमता फिरुँ
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धोखा देने के लिए ‪‎शुक्रिया‬ पगली कि
तुम‬ ना मिलती तो ‪दुनिया_समझ‬ में ‪‎ना‬ आती
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बहुत नजर अंदाज करने लगी हो तुम आजकल
बाज आ जाओ वरना इन्ही आँखो से ढुढती फिरोगी एक दिन
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जब मिलो किसी से तो ज़रा दुर का रिश्ता रखना
बहुत तड़पाते हैं अक्सर सीने से लगाने वाले लोग
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उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब मुझे ज़माना हो गया है
मेरा ग़म भी बढ़ते बढ़ते और सुहाना हो गया है
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बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए, अश्कों को तनहाई
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कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते
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जुल्फों को फैला कर जब कोई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है
तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती हे
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मैं हर किसी के लिये अपने आपको अच्छा साबित नहीं कर सकता
लेकिन मैं उनके लिये बेह्तरीन हूँ जो मुझे समझते हैं
Er kasz

हमने बरसों सीने से लगाए रक्खा मगर ये दिल हमारा न हुआ
तुमने मुस्कुरा के इक बार क्या देखा कमबख्त तुम्हारा हो गया
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लेकर आना उसे मेरे जनाजे में
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी
मेरे जिस्म में जान न हो
मगर मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी
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लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो बड़ी तकलीफ होती है, पर ज्यादा तकलीफ तो तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना ले ! Er kasz