उम्र भर उठाया बोझ दीवार पर लगी उस कील ने .......
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ... Er kasz
उम्र भर उठाया बोझ दीवार पर लगी उस कील ने .......
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ... Er kasz
मोहब्बत नहीं है नाम सिर्फ पा लेने का
दूर रहकर भी अक्सर दिल धड़कते हैं साथ-साथ
नजर की लाज बच गई तुझे देखकर ऐ जानेजां
वरना मैं तो नाराज था बेवफाओं के जहान से
अंदाज़ ऐ मोहब्बत है बड़ा नटखट सा उन का
बांहों में गिर कर कहते हैं सम्भालो हम को
तेरे चले जाने से मुझे ग़ज़लो का हुनर आया ओ साहिब
लिखा पहले भी बहुत पर असर अब आया
हर एक शक्स खफा मुझसे अंजुमन में था
क्यूँकि मेरे लब पे वही था जो मेरे मन में था
किस के हैं हम बस तुम्हारे ही तो हैं
उन के ये अल्फाज़ झूठे तो थे मगर ग़ज़ब के थे
लगा कर फूल होटों से उसने कहा चुपके से
अगर कोई पास न होता तो तुम फूल की जगह होते
आज मेरे शहर में धूप खिली खिली सी है
पता नहीं सूरज निकला है या घर से वो निकली है
नज़र -ए-बाद से बचना है तो कही और चले जा
मैं तुझे देखता हूँ तो पलके झपकती ही नहीं
अगर होता है इत्तेफाक़ तो यूँ क्यों नहीं होता
तुम रास्ता भूलो और मुझ तक चले आओ
हमेशा के लिए रखलो ना मुझे पास अपने
कोई पूछे तो बता देना के किरायेदार है दिल का
होंठो पर मुस्कराहट और नैन झुकाए बैठे है
आप ही तो है वो मेरा दिल चुराये बैठे है
हमेशा के लिए रखलो ना मुझे पास अपने
कोई पूछे तो बता देना के किरायेदार है दिल का
हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के
हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ मैं