ग़ज़ब है उसका हंस के नज़र झुका लेना
पूछो तो कहता है कुछ नही बस यूँ ही
ग़ज़ब है उसका हंस के नज़र झुका लेना
पूछो तो कहता है कुछ नही बस यूँ ही
हिसाब अपनी मोहब्बत का मै क्या दूँ
तुम अपनी हिचकियो को बस गिनते रहना
तेरा प्यार छमिया मेरे दिल में जप्त है
आओ चले अब घुमने बरसात भी ख़त्म है
बिछड़ने वाले तेरे लिए एक मशवरा है
कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना
तुझे देखकर ही शुरू होती है मेरी हर सुबह
फिर कैसे कह दूँ के मेरे दिन खराब है
जरूरी नहीं जो शायरी करे उसे इश्क हो
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बे-मिसाल देती है
आरज़ू होनी चाहिये किसी को याद करने की
लम्हें तो खुद-ब-खुद मिल जाया करते हैं!
मेरे दिल से उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है
जब वो मुस्करा के पूछती है नाराज़ हो क्या
हुस्न की मल्लिका हो या साँवली सी सूरत
इश्क़ अगर रूह से हो तो हर चेहरा कमाल लगता है
पागल नहीं थे हम जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नही लगता था..!!
ना आँखों में नींद है ना दिल में करार है
नजरें मिलती नहीं कहती हैं उन्हें हमसे प्यार है
तेरी ख्वाहिश कर ली तो कौन सा गुनाह किया
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनात मांगते हैं खुदा से
कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसे एक शख्स को
जो तुम्हारे सितम भी सहे और तुम से मोहब्बत भी करे
तेरा हुआ ज़िक्र तो हम सजदे मे झुक गए
अब क्या फर्क पड़ता है मंदिर मे झुक गए या मस्जिद मे झुक गए
वो हमसे बात अपनी मर्जी से करते हैंपर हमारा पागलपन तो देखिये जनाब
कि हम उनकी मर्जी का इंतज़ार बड़ी शिद्त से करते हैं