अजीब दस्तूर है मोहब्बत का
रूठ कोई जाता है टूट कोई जाता है.
अजीब दस्तूर है मोहब्बत का
रूठ कोई जाता है टूट कोई जाता है.
कैसे भुला दूँ उसको मैं..
मौत इंसानों को आती है यादो को नहीं...
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह
फिर हाज़िर हैं आपकी अंजुमन में
कोई नया दर्द हो तो ज़रूर देना
इससे बड़ी जीत मेरी क्या होगी
कि ये दिल सिर्फ तुम पे हारा है
मै रोज खून का दिया जलाऊगां
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता
कभी फूर्सत मे हिसाब करेगे
मेरी वफाऐ ज्यादा थी या तेरे सितम
वो भी जिन्दा है मै भी जिन्दा हूँ
कत्ल तो सिर्फ इश्क का हुआ है
निगाहों से भी चोट लगती है यारों
जब कोई देख कर भी अनदेखा कर दे
मोहब्बत की दहलीज का उसूल है
मुड़कर देखोगे तो आँखें भर आयेंगी
ख्वाब तो सो जाते है इन्तेजार में
मेरी करवटों को नींद नही आती
तुम्हीं आखिर थाम लो ना मुझे
सब ने छोड़ दिया है मुझे तेरा समझकर
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम
खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है
बस एक बार तुमसे बात हो जाए तो रात को दिल कहता है
आज दिन अच्छा था
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे
प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही