बना कर छोड़ देते हैं अपनी ज़ात का आदि
कुछ लोग यूँ भी इंतकाम लेते हैं
बना कर छोड़ देते हैं अपनी ज़ात का आदि
कुछ लोग यूँ भी इंतकाम लेते हैं
इस दुनिया में हर वो शक्स अकेला है
जिसने सच्चे दिल से महोब्बत की है
गुनाह मुझे मेरे सामने गिनवा दो
बस जब कफ़न में छुप जाऊ तो बुरा न कहना
काश मोहब्बत मे भीचुनाव होते
गजब के भाषण देते तुझे पाने के लिये
Er kasz
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो
ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी
मुझे मेरी कल कि फिकर नही है,
पर ख्वाईश तो उसे पाने की जन्नत तक रहेगी....
मेरे ही किनारे मुझमें डूब जाते हैं
जब दिलमें उठता है दर्द का तूफां
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया
इतनी जल्दी भी क्या है मुझे छोड़ने की
अभी तो हद बाकी है मुझे तोड़ने की
पता नहीं अब हक़ है भी या नहीं...
पर तेरी परवाह करना मुझे आज भी अछा लगता है...
मेरे अपने कहीं कम न हो जाएँ
इस डरसे मुसीबत में किसी को आजमाता नहीं
Er kasz
मुझसे खुशनसीब है मेरे ये अलफाज
कुछ देर ही सहि पडेगी इनपर निगाहे तेरी
मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन हे
पर टूट के चाहना सिर्फ एक बार होता हे
चल ऐ दिल किसी अनजान सी बस्ती में
इस शहर में तुझसे सभी नाराज ही रहते हैं
चलो पूरी कायनात का बँटवारा करते है
तुम सिर्फ मेरे बाकी सब तुम्हारा