खुदा ने सब्र करने की तौफ़ीक़ हमें बख्शी है
अरे जी भर के तड़पाओ शिकायत कौन करता है
खुदा ने सब्र करने की तौफ़ीक़ हमें बख्शी है
अरे जी भर के तड़पाओ शिकायत कौन करता है
रूलाने मे अकसर उन्ही का हाथ होता है
जो कहते है तुम हसते हुए बहुत अच्छे लगते हो
वेसे तो मैं ठीक हु तेरे बिछड जाने के बाद भी
बस दिल का ही डर है कही धडकना ना छोड दे
कौन कहता है कि मैं खूबसूरत लिखता हूँ ??
खूबसूरत तो वो लोग है जो इसे पसन्द करते हैं !!
नफरत सी हो जाएगी तुम्हे भी इस दुनिया से
मोहब्बत किसी से तुम बेसुमार कर के देखना
ढूंढते हो क्या इन आँखों में कहानी हमारी
खुद में ग़ुम रहना तो आदत है पुरानी हमारी
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे
जी भर कर जुल्म कर लो......
क्या पता मेरे जैसा कोई बेजुबान तुम्हें फिर मिले ना मिल*::*""!! Er kasz
कहना ही पड़ा उसे शायरी पढ़ कर हमारी
कि कंबख्त की हर बात मोहब्बत से भरी होती है
Er kasz
नाज है मुझे तेरी नफरतों का अकेला वारिस हूँ
मोहब्बत तो तुम्हे बहोत से लोगों से है
अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ
ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी...!
भुला दूंगा तुझे ज़रा सब्र तो कर
तेरी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही। Er kasz
तेरी चाहत में तेरी मोहब्बत में तेरी जुदाई में
कोई हर रोज टूटता ह पर आवाज नहीं होती
तेरी तवज्जुह शायद मेरे नसीब में ही ना थी
छोड़ दिया तुझे याद करना खुद को बेवफा समझ कर