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Taarif Shayari
मासुमियत तो देखीये महबुब कि मेरेशरमा
मासुमियत तो देखीये महबुब कि मेरेशरमा
मासुमियत तो देखीये महबुब कि मेरे
शरमा रहा है अपनी ही तस्वीर देखकर
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अक्सर वही लोग उठाते हैं हम
मेरे किरदार का फैसला मेरे लफ़्ज़ों
दोस्ती का इरादा था प्यार हो
उसकी ये मासूम अदा मुझको बेहद
तेरी आँखों के सिवा दुनियाँ में
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हड्डियां तोड़ने में वो मजा कहाँ
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हाथ की लकीरें पढने वाले ने
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