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Taarif Shayari
क़यामत टूट पड़ती है जरा सी
क़यामत टूट पड़ती है जरा सी
क़यामत टूट पड़ती है जरा सी उसके होट हिल जाने पे
न जाने क्या हस्र होगा जब ओ खुलकर मुस्करायेगे
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