निर्धन गिरे पहाड़ से कोई ना पूछे हाल
करोड़पति को कांटा लगे तो पूछे लोग हज़ार
निर्धन गिरे पहाड़ से कोई ना पूछे हाल
करोड़पति को कांटा लगे तो पूछे लोग हज़ार
बहुत भीड़ थी उस बुज़ुर्ग के जनाज़े में
कोई बड़ा पेड़ गिरने पर जैसे परिंदे निकल आते हैं
कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है
मिले अगर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है
Er kasz
बहुत ही छोटी मगर सच्ची बात
आपका स्वभाव ही आपका भविष्य है
ग़लतियाँ सुधारने का समय तब खत्म हो गया
जब pencil की जगह pen हाथ में आ गया
er kasz .
मुझे पतझड़ की कहानियां सुना सुना के न उदास कर
नए मौसम का पता बता जो गुजर गया वो गुजर गया
महाकाल के बेटे हैं इसलिए चुप बैठे है
वरना हमसे जो ऐठे है वो शमशान में लेटे है
er kasz
जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है
वरना अपना कहने वाले लोग तो याद भी नहीं करते
मौत से बचने का सबसे शानदार तरीका
लोगों के दिलों में जिंदा रहना सीख लो
तू अगर चला गया छोड़कर मुझे अकेला
तो ले जाना उन पलों को भी जो तेरे बिना मेरी जान ले लेगें
er kasz
माना कि बहुत कीमती हूँ मैं इन दुनिया वालों के लिए ...!!
पर चंद लम्हों से ज़्यादा कोई ना रोयेगा मेरे गुज़र जाने के बाद ...!!
तवायफ फिर भी अच्छी के वो सीमित है कोठे तक
पुलिस वाला तो चौराहे पर वर्दी बेच देता है
er kasz
दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं
बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं
कल घर से निकले थे, माँ के हाथो के बने पराठे खा कर...
आज सड़क किनारे चाय तलाश रही है जिंदगी...!! Er kasz
वो लाख तुझे पूजती होगी तू खुश न हो ए खुदा
वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिये
er kasz