कोन कहता है कि हमारी बात में वो अंदाज़ नहीं
तेरे अलग होने के बाद लोग हमे शायर कहते हैं

मेने खुदा से पुछा क्यू तू हर बार छीन लेता हे मेरी हर पसंद
वो हंस कर बोले मुझे भी पसंद हे तेरी हर पसंद

मैं दुनिया की खोफनाक हकीकत को क्या बयाँ करूँ
यहाँ तो गर्भ में पल रही मासूम से भी लोगों की दुश्मनी है

हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी...
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने के लिए..

इश्क करो तो आयुर्वेदिक वाला करो
फायदा ना हो तो नुक़सान भी ना हो

उसको रब से इतनी बार माँगा है
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते हे

मुलाकात जरुरी हैं अगर रिश्ते निभाने हो
वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं

एक निद हे जो रात भर नही आती
और ये नसीब हे जो पता नही कब से सोया है

पत्थरो को गहनो से लदा देखा है
नन्हे-नन्हे हाथो को 1-1 रूपये के लिए फैला देखा है

हालात ने तोड़ दिया दीपक को कच्चे धागे की तरह
वरना मेरे वादे भी कभी जंजीर हुआ करते थे

कितने सुलझे हुऐ तरीके से
उलझन में डाल जाते हो तुम

दर्द-ए-दिल का इलाज़ कोई हक़ीम कर न पाया
कुछ ऐसे ज़ख़्म मिले ज़िन्दगी से जिन्हे वक़्त भी भर न पाया

कौन ढूंढें जवाब दर्दों के
लोग तो बस सवाल करते है

क्रोध से शुरू होने वाली हर बात
लज्जा पर समाप्त होती है

जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ
मगर किसी के ऐतबार का नहीं