अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको

मैं मोहोब्बत के लाल सिग्नल पर खड़ा रह गया
बिना इंडिकेटर दिए वो अलग राह मुड़ दिए

Manzil mil hi jayegi bhatakte hi sahi
Gumrah to wo log h jo ghr se nikle hi nahi

ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ,
बस शर्त है कि वो ...आँच तुम्हारी हो. Er kasz