खुद को हमेशा बादशाह समझा
एहसास तब हुआ जब वफ़ा माँगी फकीरों की तरह
खुद को हमेशा बादशाह समझा
एहसास तब हुआ जब वफ़ा माँगी फकीरों की तरह
सारा बदन अजीब सी खुशबु से भर गया
शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया
ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने वाली
किसी और शायर की गजल बन गयी है
स्याही थोड़ी कम पड़ गई
वर्ना किस्मत तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी
इतना दर्द तो मरने से भी न होगा
जितना दर्द तेरी ख़ामोशी ने दिया था
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा
जिंदगी से कोई दुश्मनी नही मेरी
एक ज़िद है की बस तेरे बिना नही जीना
बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे
वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे
खुद को खोने का पता नहीं चला
किसी को पाने की यूँ इन्तहा कर दी मैंने
गुमान न कर अपनी खुश-नसीबी का
खुदा ने अगर चाहा तो तुझे भी इश्क होगा
तुम मुझे मोका तो दो साथ चलने का
थक जाओगी मेरी वफाओ क साथ चलते चलते
वो जब सामने आये तो अजब हादसा हुआ
हर लफ्ज ए शिकायत ने खुदकुशी कर ली
हाथ की नब्ज़ काट बैठा हूँ,.
शायद तुम दिल से निकल जाओ ख़ून के ज़रिये
ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने वाली अब
किसी और शायर की गजल बन गयी है
ना पीने की हजार वजहे है मेरे पास ।
और पीने का सिर्फ एक बहाना हो तुम