स्याही थोड़ी कम पड़ गई वर्ना किस्मत
तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी..

लफ्जो में कुछ यू उलझा हु में
कहीं कंही से हर चेहरा तुम जैसा लगता है

मुमकिन न होगा यूँ
भूल जाना मुझको, तेरा गुनाह हूँ याद अक़्सर आऊंगा !!

उन हवाओं का इंतज़ार हरदम ही रहेगा अब
आ रही होंगी जो तेरे देश से हो कर

तुझको भूलूँ कोशिश करके देखूंगा
वैसे दरिया उल्टा बहना मुश्किल है

देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे
अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे
Er kasz

सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है
Er kasz

हज़ारो है मेरे अल्फ़ाज़ के दीवाने
मेरी ख़ामोशी सुनने वाला भी तो कोई हो

ये तो बड़ा मुझ पर अत्याचार हो गया
खामख्वाह मुझे तुझसे प्यार हो गया

तुम्हारे बाद जो होगी वो दिल्लगी होगी
महोबत तो तुम पे ख़तम कर बेठे है

ढूंढने पर वही मिलेंगे जो खो गए हैं
वो कभी नहीं मिलेंगे जो बदल गए हैं

अब सफ़र ज़िंदगी का ख़तम ही हुआ समझो
उसकी बातो से जुदाई की महक आती है

दिन भर तो गुम रहा दिल तेरे ख्यालों में
रात हुई तो उलझ गया सवालों में

हसरत तो थी कि तेरी आँख का आसूँ बन जाऊं
पर तू रोये ये मुझे गँवारा नहीं

मत पूछ दास्तान ऐ इश्क
जो रूलाता है, उसी के गले लगकर रोने का मन करता है