कितने आसान से लफ़्ज़ों में कह गया वो..
के बस दिल ही तोडा है कोनसी जान ली है..
कितने आसान से लफ़्ज़ों में कह गया वो..
के बस दिल ही तोडा है कोनसी जान ली है..
धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये जनाब
आप तो सारे दिल पर कब्जा किये बैठे है
शायद कोई और भी चाहने लगा है तुम्हे
मुझसे ज्यादा चाहे तो उसी की हो जाना
तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है
मैंने दुनियां से अलग गाँव बसा रखा है
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
आज कुछ नही है मेरे पास लिखने के लिए
शायद मेरे हर लफ्ज़ ने खुदखुशी कर ली
हकीम भी ना कर सका इलाज मेरे इस दर्द का
जिसकी दवा तेरी इक मुस्कान बन गयी
रूह दिल धड़कन सब कर के उनके हवाले
बस ये जिस्म लिये जहां में फिरते है हम
खामोशियाँ उदासियों की वजह से नहीं,
बल्कि यादों की वजह से हुआ करती हैं..
काश आंसुओं के साथ यादे भीं बह सकती,
तो एक दिन तस्सल्ली से बैठ कर रो लेते
में अक्सर अकेला रेह जाता हूँ
क्युकी में हमेश उनके सहारे रेहता हूँ
er kasz
मेरे मुक़द्दर को यही गिला रहा मुझसे
के किसी और का होता तो संवर गया होता..
एक बात मुझे अब भी बैचेन करती है
सुन के मेरी मरने की खबर वो रोया क्यों था
सुनो किसी से कहो ना तो एक राज़ कहे
मैं मर रहा हूँ धीरे धीरे तुमसे बिछड़ कर
मै ये नही कहता की मेरी खबर पूछो तुम
खुद किस हाल में हो ये तो बता दिया करो