बस इस एक पल की ख्वाईश में जिये जाते हैं हम
कि इसके बाद और कुछ नही चाहिये ज़िंदगी से

हमने खुशियोँ की तिजोरी उनके हवाले की थी,
लेकिन कमबख्त को मेरी हंसी ही चुरानी थी!!

तमन्ना सर बुलंदी की हमें भी अच्छी लगती है,
मगर हम रौंद कर अपनों को ऊँचे नहीं होते..

सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है

मैं दुआ में उसे माँगता हूँ और वो किसी और को
कभी कभी सोचता हूँ भगवान किसकी सुनेगा ?

पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों,
ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही ..!
er kasz

एक तेरा ही नशा था जो शिकस्त दे गया मुझे
वरना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से!..

ज़रा देख ये दरवाज़े पे दस्तक किसने दी है
अगर ईश्क़ हो तो कहना यहा दिल नही रहता
Er kasz

बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर

न कहा करो हर बार की हम छोङ देंगे तुमको
कयोंकि न हम इतने आम हैं न ये तेरे बस की बात है

अपने हर एक लफ्ज़ का खुद आइना हो जाऊँगा
किसी को छोटा कहकर मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
Er kasz

हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी...
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने के लिए..

बहुत ज़ालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते हो
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो

मोहब्बत मे सर को झुका देना कोई मुश्किल नही
रोशन सूरज भी चाँद की खातिर डूब जाता है

दफा हो जा ए महोब्बत मेरी ज़िंदगी से
हंसी हंसी में तूने तो मेरी हस्ती ही मिटा डाली