ए खुदा तू इश्क़ न करना वरना पछतायेगा,,
हम तो मर कर तेरे पास आते हैं,, तू कहाँ जायेगा...
ए खुदा तू इश्क़ न करना वरना पछतायेगा,,
हम तो मर कर तेरे पास आते हैं,, तू कहाँ जायेगा...
मिटा दे उसकी तसवीर मेरी आंखौ सै ऐ खुदा
अब तौ वौ मुझै ख्वाबौ मै भी अच्छी नही लगती
क्या खबर थी हमें के मोहब्बत हो जाएगी
हमें तो बस उस का मुस्कुराना अच्छा लगता था..
माना कि बहुत कीमती है वक्त तुम्हारा मगर
हम भी नायाब हैं ये तुम्ही ने कहा था कभी.
वो मैय्यत पे आए मेरी और झुक के कान में बोले
सच में मर गए हो या कोई नया तमाशा है
Er kasz
इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है
ग़म देकर वो हमें पूछतें हैं कोई ग़म तो नहीं है
"दिन तो कट जाता है शहर की रौऩक में
पर कुछ लोग बहुत याद आते हैं शाम ढल जाने के बाद
नहीं शिकवा मुझे कुछ तेरी बेवफाई का....
गिला तो तब हो अगर तूने किसी से भी निभायी हो..!!!
कहाँ मिलेगा तुम्हे बुद्धु मेरे जैसा
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे
मिट्टी में मिला देती है हँसते हुए चेहरे
तकदीर को कहाँ रिश्तों की पहचान होती है
शिकायत तो नहीं कोई मगर अफ़सोस इतना है
मुहब्बत सामने थी और हम दुनिया में उलझे थे
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने.
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं
Er kasz
मुझे भी जरुरुत है तेरी बाहो की
दुनिया के वजूद और दुनिया के रास्ते बहुत कमजोर है
कीसी रोज फुरसत मिले तो आना हमारी महफिल में
हम शायरी नहीं दर्दे ए इश्क सुनाते है
मुमकिन है कि तेरे बाद भी आती होंगी बहारें
गुलशन में तेरे बाद कभी जा कर नहीं देखा