दोस्तों ने पूछा किसने तकलीफ दी है
आइने के आगे खड़े थे सामने की तरफ उंगली उठ गई

क्यों ना सज़ा मिलती हमें मोहब्बत मैं
आखिर हम ने भी तो बहुत दिल तोड़े तेरी खातिर

साक़ी तेरी शराब मे गम की बहुत कमी है
ला जाम इसमे थोडा दर्द-ए-मोहब्बत निचोड़ दूँ

यु तो हम लिखने मे माहिर है मगर
तेरे अल्फाज न हो शामील तो शायरी अधुरी रह जाती है

हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के
हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ मैं

जब तुम ही नहीं हो तो ज़माने से मुझे क्या
ठहरे हुए जज़्बात में जाँ है भी नहीं भी

दिल से ही हुक्म लेते है दिल से ही सबक लेते है
आशिक कभी उस्तादो की माना नही करते

उसके आने की उम्मीद तो है पर भरोसा नहीं
मेरी नज़रों में अब वो काला धन हो गई है
Er kasz

मोहब्बत और भी बढ़ जाती है जुदा होने से..!!
तुम सिर्फ मेरे हो इस बात का ख्याल रखना..!!

बिछड के इक दूजे से हम कितने रंगीले हो गए
मेरी आँखे लाल हो गई उनके हाथ पीले हो गए

मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है
देखते हैं पहले कौन आता है दोनों का इंतजार है

लिपट जाती जरुर अगर ज़माने का डर ना होता |
बसा लेती मै तुमको अगर सीने में घर होता

जा जाकर धड़क उसके सीने में ऐ दिल
हम उसके बिना जी रहे है तो तेरे बिना भी जी लेंगे

बहुत रोई होगी वो खाली कागज देखकर
खत मे पूँछा था उसने जिंदगी कैसे बीत रही है
Er kasz

तू जो भूल गयी मुझको क़सूर तेरा नहीं है,
जब तक़दीर ही बुरी हो तो कोई अपना नहीं बनता!!