हर सख्स पूछता है कहा से लाते हो ये शायरी
कोई ये नहीं पूछता किसके लिए करते हो...

माना की नसीब में अपने कोई "सनम" नहीं....
फिर भी जिंदगी से कोई शिकवा कोई गम नहीं..

कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते……
हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते है..

अपनी जवानी में और रखा ही क्या है कुछ तस्वीरें यार
की बाकी बोतलें शराब की
Er kasz

कोई और गुनाह करवा दे मुझ से मेरे खुदा
मोहब्बत करना अब मेरे बस की बात नहीं
er kasz

मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले
कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारो

ये ना पूछ के शिकायतें कितनी हैं तुम से,
तू बता के तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नही .

मुझसे सब मेरी ख़ामोशी का सबब पूछ्तें हैं.
कशमकश में हूँ तेरा नाम बताऊँ कैसे...!!!

तुझको खबर नहीं मगर एक बात सुन ले..!!
बर्बाद कर दिया तेरे दौ दिन के प्यार ने !! 😌😌 Er kasz

बहुत दर्द देती है ये खामोशी तेरी
मोहब्बत नहीं होती तो चल थोड़ा झगड़ लेते है

चलते रहेंगे क़ाफ़िले मेरे बग़ैर भी यहाँ
एक तारा टूट जाने से फ़लक़ सूना नहीं होता

सब कुछ मिल जाता है इस दुनिया मैं फ़क़त...
वह शख्स नहीं मिलता जिस से मोहब्बत हो...

रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की
ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नहीं
वरना मोहब्बत और नफ़रत एक ही दिल से होती है
Er kasz

दिल सुलगता है तो धुआं क्यों नहीं उठता
क्यों वो आग अक्सर आसुओं में बह जाती है