सारे खयाल दिल के वो अपने साथ ही ले गयी
अपना खयाल रखना जाते जाते यह भी कह गयी

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ.
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी.

इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत,
आँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही निकला !!

बिना मेरे रह ही जायेगी कोई ना कोई कमी.
तूम जिंदगी को चाहे कितना भी संवार लो..

आखोँ में तेरे सपने होठों पे तेरी बात
ऐ दिन तो कट जाता है गुजरती नहीं रात✍ Er kasz

अमीर होता तो बाज़ार से खरीद लाता नकली
गरीब हूँ इसलीये दिल असली दे रहा हु
Er kasz

मुझे मालुम हे वह किसी और कि हो गई है
इस दिल का क्या करे जो उस वेवफा पे मरता है

आग लगाना मेरी फितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर
Er kasz

मेरे सब्र का इंतेहा क्या पूछते हो.
वो मुझ से लिपट कर रोई भी तो किसी और के लिए.

कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक़ात उसने
की मुद्दत से ढूंढ़ रहा हु कसूर अपना
er kasz

मेरा टूटना बिखरना एक इत्तेफाक नहीं
बहुत मेहनत की है एक शक्स ने इसकी खातिर

रात गुज़री है तेरी यादों के साये में..
सुबह से तेरे ख़्वाबों में उलझा हूँ..!! Er kasz

किस कदर दर्द सेहता होगा वो सख्स
जिसे अहसास हो अब ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं रही

तुम्हें देखकर किसी को भी यकीन नही
कि मेरे दिल का ये हाल तुमने ही किया है
er kasz

चलो छोड़ो तुम्हें क्या बताना मुहब्बत के दर्द को
जान जाओगे तो जान से जाओगे