दिल भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है
करो याद उसे वरना मै भी धडकना छोड़ दूंगा

मिले जब चार कंधे तो दिल ने ये कहा मुझसे
जीते जी मिला होता तो एक ही काफी था

इजाजत होतोतेरे पास आ जाऊ मै,,,.......?...
चाँद के पास भी तो एक सितारा रहता है ना....
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बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
Er kasz

मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

नाराजगी, डर, नफरत, या फिर प्यार
कुछ तो जरुर है जो तुम मुझ से दूर दूर रहते हो

बगैर जिसके एक पल भी गुजारा नही होता
सित्म देखिए वही शक्स हमारा नही होता

शायरों ने इसे लफ़्ज़ों से सजा रखा है
वरना मोहोब्बत इतनी भी हसीन नहीं होती

सजा ये कैसी मिली हम्की दिल लगाने की
रो रहे है हम तमन्ना थी मुस्कुराने की

नब्ज देखी हकीम ने कहा इसे इश्क की बीमारी है
दिल निकाल दो कमबख़्त बच जाएगा

उसके दिल पर भी क्या खूब गुजरी होगी
जिसने इस दर्द का नाम मोहब्बत रखा होगा

अच्छा छोड़ो ये बहस और तक़रार की बातें
ये बताओ रात ख़्वाबों में क्यूँ आते हो

लगता है खुदा का बुलावा आने वाला है
आज कल मेरी झूठी कसम खा रही है वो "पगली"

चादँ के साथ कई दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले

ये औत बात हैं की तेरे रूबरू नहीं गुज़रा
मैं जिस अज़ाब से गुज़रा तु नही गुज़रा