दिल से ही हुक्म लेते है दिल से ही सबक लेते है
आशिक कभी उस्तादो की माना नही करते
दिल से ही हुक्म लेते है दिल से ही सबक लेते है
आशिक कभी उस्तादो की माना नही करते
थोड़ी थोड़ी सी ही सही मगर बातें तो किया करो
चुपचाप से रहते हो तो बेवफ़ा से लगते हो
नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो
दुश्मनी में भी दोस्ती का सिलसिला रहने दिया
उसके सारे खत जलाए और पता रहने दिया
आपकी सादगी पे क़त्ल-ऐ-आम हुवे जाते है
तब क्या क़यामत होगी जब आप सवंर कर आओगे
er kasz
कितनी खूबसूरत हो जाती है उस वक्त दुनिया
जब कोई अपना कहता है तुम याद आ रहे हो
er kasz
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी
अल्फाज़ मेरे गुलाम है बाकी रब की महेरबानी
वो बड़े ग़ौर से देखतें हैं हमारी तस्वीर
शायद उसमें जान डालने का इरादा है उनका
फुरसत में करेंगें तुझसे हिसाब ये जिंदगी
अभी उलझे हैं हम खुद को ही सुलझाने में
हर रिश्ते में मिठास होगी शर्त बस सिर्फ इतना सा है
कि शरारतें करो साज़िशे नहीं
" धडकनें इस दिल की कभी बंद
नहीं होगी...
बस तुम इस दिल से निकल कर
कहीं मत जाना." Er kasz
दिल से दूर जाने वाले मुड़ के तो देखो मुझे
जिंदगीभर के लिए दिल में बसा लेंगे तुझे
सुना है आजकल तेरी मुस्कराहट गायब हो गई है
तेरी इजाजत हो तो फिर से तेरे करीब आऊँ
बेवफा है यह जहा कही तू भी हमें भुला न देना
हम तेरे ही वास्ते दिल को लगाये बैठे है
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र मेरा
हम भी देखें हम टूट कर कब तलक बिखरते हैं
er kasz