लफ्ज होते हैं इंसान का आईना शक्ल का क्या
वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है
लफ्ज होते हैं इंसान का आईना शक्ल का क्या
वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है
ये जो ख्याल होते हैं ना मायाजाल होते हैं
और तू वो ख्याल है जिसकी हकीकत मैं जानता हूँ
बहुत ज़ालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते हो
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो
G.R..s
दिल धड़क उठेगा जरुर जब नजर से नजर मिलेंगे
कली से फूल बनेगी जरुर जब जवां हमसफर मिलेंगे
रात तो मेरी इन आँखों में ही गुजरा करती है
तेरी कमबख्त दीदी मेरी पीछे हरदम रहा करती है
मोहब्बत उस से नहीं की जाती जो खूबसूरत हो
खूबसूरत वो होता है जिस से मोहब्बत हो जाती है
चलो माना की हमे प्यार का इजहार करना नहीं आता
जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नही
मैं और उसको भूल जाऊँ कैसी बात करते हो
सूरत तो फिर भी सूरत है वो नाम भी प्यारा लगता है
में पिए रहु या न पिए रहु लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती है
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया
er kasz
फिर नहीं बस्ते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैं,
कब्रे जितनी भी सजा लो, कोई ज़िंदा नहीं होता .
जो झुकते हैं ज़िन्दगी में वो बुज़दिल नही होते
यह हुनर होता हैं उनका हर रिश्ता निभाने का
अपने यार का चेहरा अपने प्यार का चेहरा
देख ले गोरी उठाके घुंघट तुझे लेने बांध के सेहरा
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
जरा बताओ तो किसे गुरुर है अपनी दौलत पर
चलो उसे बादशाहों से भरा कब्रस्तान दिखाता हु
er kasz