बदलता तो इंसान है
वक़्त तो सिर्फ एक बहाना है

मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है
मिल जाए तब भी ना मिले तब भी

मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुम नें

कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को
जो रूठा भी न हो और बात भी न करे

कितनी कमतर हो गई है रिश्तो की पहचान
दस्तक पर भी मौन है दरवाजे के कान

समय के एक तमाचे की देर है प्यारे
मेरी फ़क़ीरी भी क्या तेरी बादशाही भी क्या

उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना,
मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती....!!

क्यों पहनती हो चूड़ी क्यों पहनती हो कंगना
सजने का ही शोक है तो फिर बना लो न सजना

रिश्ता दिल से होना चाहिए शब्दों से नहीं
नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं

इस रात की उदासियों से पूछो मेरे दिल की हालत
जब भी तुम्हारी याद आती है ये अँधेरे और भी गहरे हो जाते है

Hadd ho gai intezar ki
aisi ki taisi aise pyar ki

Ishq itne qareeb se guzra
Mai yeh samjha ke ho chuka mujh ko

Bahot Shauq hai na tujhy behas karne ka
Aa baith bata kis morr pe wafa ki tune

Ham Ne Kanton Ko Bhi Bari Narmi Se Chua Hai
Log Kitny Bedard Hain Pholon Ko Masal Dety Hain