जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ
जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ
आपकी सादगी पे क़त्ल-ऐ-आम हुवे जाते है
तब क्या क़यामत होगी जब आप सवंर कर आओगे
er kasz
माना की तु कीसी रानी से कम नही
पर इस बात मे कोई दम नही जब तक तेरे बादशाह हम नही
Er kasz
वो मैय्यत पे आए मेरी और झुक के कान में बोले
सच में मर गए हो या कोई नया तमाशा है
Er kasz
शायर बना दिया अधूरी मोहब्बत ने
मोहब्बत अगर पूरी होती तो हम भी एक ग़ज़ल होते
Er kasz
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र मेरा
हम भी देखें हम टूट कर कब तलक बिखरते हैं
er kasz
सो जाता है वो मालकिन की गालियाँ खा कर
सबके नसीब में माँ की लोरियाँ नहीं होती
Er kasz
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने.
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं
Er kasz
कोशिश आखरी सांस तक करनी चाहिये
मंजिल मिले या तजुर्बा चीज़े दोनों ही नायाब है
Er kasz
मालुम था कुछ नही होगा हासिल लेकिन
वो इश्क ही क्या जिसमें खुद को ना गवायाँ जाए
er kasz
जबाँ ख़ामोश है लेकिन निग़ाहें बात करती हैं
अदाएँ लाख भी रोको अदाएँ बात करती हैं
कहना ही पड़ा उसे शायरी पढ़ कर हमारी
कि कंबख्त की हर बात मोहब्बत से भरी होती है
Er kasz
अपने हर एक लफ्ज़ का खुद आइना हो जाऊँगा
किसी को छोटा कहकर मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
Er kasz
काश वो भी बेचैन होकर कह दे मेँ भी तन्हा हूँ
तेरे बिन तेरी तरह तेरी कसम तेरे लिए
Er kasz
नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो
er kasz