मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है
आजकल एक हीर ने मुझे रांझा बना रखा है
er kasz
मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है
आजकल एक हीर ने मुझे रांझा बना रखा है
er kasz
अकसर वही रिश्ता लाजवाब होता है
जो ज़माने से नहीं ज़ज़्बातों से जन्मा होता है
er kasz
वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया उठाते
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती
Er kasz
यूँ ही शौक़ है हमारा तो शायरी करना
किसी की दुखती रग छू लूँ तो यारों माफ़ करना
Er kasz
मेरी लिखी किताब मेरे ही हाथो मे देकर वो कहने लगी
इसे पढा करो मोहब्बत सीख जाओगे
er kasz
जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ
किस्मत की रोटी तो कुत्ते को भी नसीब होती है
Er kasz
फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही
er kasz
कितने अजब रंग समेटे है बारिश ने खुद में
अमीर पकोड़े खाने को सोच रहा और किसान जहर
er kasz
जिन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारते
और लोग समझते हैं कि हम समझदार हो गये
er kasz
दम तोड़ देती है माँ-बाप की ममता जब बच्चे कहते है
तुमने किया ही क्या है हमारे लिए
Er kasz
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की हैं
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन
er kasz
उसने थामा था मेरा हाथ उस पार जाने के लिये
मेरी एक ही तमन्ना थी कि कभी किनारा न आए
er kasz
अब किसी और से मुहब्बत करलू तो शिकायत मत करना
ये बुरी आदत भी मुझे तुमसे ही लगी है
er kasz
बहुत है मेरे मरने पर रोने वाले
मगर तलाश उसकी है जो मेरे रोने पर मरने की बात कर दे
er kasz