मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती

हमने तो उस शहर में भी किया है इंतज़ार तेरा
जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था

एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं
वरना मोहब्बत और नफरत एक ही दिल से होती है

आपकी सादगी पे क़त्ल-ऐ-आम हुए जाते है
तब क्या क़यामत होगा जब आप सवंर कर आओगे

सुलग रहे है कब से मेरे दिल में ये अरमान
रोक ले अपनी बहो में तू आज मेरे तूफ़ान

अभी भी हाथ पकड ले पगली अभी तेरा हो सकता हूँ
वरना भीड़ बहुत है खो भी सकता हूँ

मुझे उस जगह से भी मोहब्बत हो जाती है
जहाँ बैठ कर मैं एक बार उसे सोच लेता हूँ

वो कहते हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ
ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे

काश कि ये इश्क भी चुनावों की तरह होता
हारने के बाद दिल खोल कर बहस तो कर लेते

रात गुज़री है तेरी यादों के साये में..
सुबह से तेरे ख़्वाबों में उलझा हूँ..!! Er kasz

सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना

मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

जब महसूस हो कि सारा शहर तुमसे जलने लगा है
समझ लेना तुम्हारा नाम चलने लगा है

कौन कहता है के वो मुझसे बिछड़कर खुश है
जरा उसके सामने मेरा नाम तो लेकर देखो