हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है
हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है

काश मै लौट पाऊँ बचपन कि उन गलियों में
जन्हा ना कोई ज़रूरी था ना कोई जरूरत

दिल दिया है तो दिल मिला भी होगा किसी से
क्यों इश्क में हिसाब किए फिरते हो

हम जा रहे हैं वहाँ जहाँ दिल की हो कदर
तुम बैठे रहना अपनी अदायेँ सम्भाल कर

होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह
तो मै तेरे शहर मे कभी धूप ना आने देता

उसने मुज से पुछा मेरे बिना रह लोगे
सांस रुक गई और उन्हें लगा हम सोच रहे है

सो जाऊं उमर भर के लिए जो वो एक बार कह दे
ख्वाब में मिलने आयेगे इंतज़ार करना

होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह
तो मै तेरे शहर मे कभी धूप ना आने देता

फूल जो तुमने दिया, वह प्रेम की पहचान है
फूल की तुम जान हो, वह फूल मेरी जान है

चाहे गीता बांचिये या पढ़िए क़ुरान
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान

तू मुझे प्यार से देखे या न देखे ज़ालिम
तेरा अंदाज़ मोहब्बत का पता देता है

शिकवा नहीं है तुमने मुझको प्यार ना दिया
गिला है खत देते समय विचार ना किया

बहुत शौक़ था मुझे भी दिल लगाने का
शौक़ शौक़ में ही ज़िंदगी बर्बाद कर बेठा

क्यों ना गुरूर करूं अपने आप पे....
मझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारों थे....

मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती