खत लिखती हूं मै आपको नीली स्याही से
फट जाता है कलेजा मेरा आपकी जुदाई से

अब इतना भी सादगी का जमाना नही रहा
की तुम वक़्त गुजारो और हम प्यार समझें

पलकों को अब झपकने की आदत नहीं रही
जाने क्या हुआ है तुम्हें देखने के बाद

वफा की राहों में सनम मेरी मंजिल है
सारे जहां से अच्छा, तू मेरी संगदिल है

हम किसी के लिए उस वक़्त तक स्पेशल है
जब तक उन्हें कोई दूसरा नहीं मिल जाता

छू ना सकु आसमान तो ना ही सही दोस्तों
आपके दिल को छू जाये बस यही तमन्ना है

बस इतना जान लो के तन्हा नही हो तुम
मैं हूँ कहीं भी लेकिन तेरे संग-संग हूँ

कोई एक पल हो तो नजरें चुरा लें हम
ये तुम्हारी याद तो साँसों की तरह आती है

खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती
तो ना ही खुदा होता और ना ही ईबादद होती

तेरी तलाश में निकलू भी तो क्या फायदा
तुम बदल गए हो खो गए होते तो और बात थी

इस वास्ते जी भर के उसे देख ना पाए
सुनते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी

बेरा लाग्या जब उसनै म्हारी औकात का
खड़े होग्ये रूँगटे पानी होगा गात का

तेरे बाहो के सहारे की जरुरत नही मुझको
रुह से रुह को मिला वरना खुदा हाफिज

कितने आंसू बहाऊँ उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नही

तुमसे है मुझको इश्क कहूंगा मैं यह जरुर
मशहूर है यह बात जमाने में दूर दूर