भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा
बुरे बनते ही हर तरफ अपने चरचे हैं
भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा
बुरे बनते ही हर तरफ अपने चरचे हैं
हर शह मे होता है मुझे तेरा दिदार
ओर लोग कहते है फकीरा की नियत खराब है
वापस आ कि सफर ये तन्हा मुमकिन नहीं
जान गया कि मैं हूँ पर तुम बिन नहीं
ग़ज़ब है उसका हंस के नज़र झुका लेना
पूछो तो कहता है कुछ नही बस यूँ ही
सुनो ये मेरा दिल तुम ही रख लो
मेरे पास तो वैसे भी ये परेशान ही रहता है
जीत लू तुझे जमाने की हर ताकत से
इक बार जो तू आमीन कह दे मेरी दुआ के बाद
सम्भाल के रखना अपनी पीठ को...
शाबाशी " और " खंजर "दोनों वहीं मिलते है ...Er kasz
चकोरी की चाहत चाँद होती है
प्रेमी की चाहत प्रेमी से मुलाकात होती है
नज़र-नज़र का फर्क है हुस्न का नहीं
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है
लिपट जाओ एक बार फिर गले हमारे
कोई दीवार न रहे बिच में हमारे तुम्हारे
महफिल में भी आजकल तनहायी लगती है
बिन तेरे ये जिदंगी बददुआ सी लगती है
देख ली मैने भी खुदाई तुझे पाकर
तेरे संग ज़िंदगी का हर लम्हा अच्छा है
जिधर देखू तेरी तस्वीर नजर आती है
तेरी सूरत में मेरी तक़दीर नजर आती है
कहीं तो दर्द होगा कोई सीने में ज़रूर
यूँ ही हर एक तनहा शायर नहीं होता
दिल तो तब खुश हुवा मेरा जब उसने कहा
तुम्हे छोड़ सकती हु माँ बाप को नहीं