तासीर इतनी ही काफ़ी हैं की तु मेरी हैं
क्या ख़ास हैं तुझमे ऐसा कभी सोचा ही नही

सुनो तुम अगर पूछलो की कैसा हूँ
तो घर में पड़ी सारी दवाइयां न फैंक दूँ तो कहना

लिपट जाती जरुर अगर ज़माने का डर न होता
बसा लेती मै तुमको अगर सीने में घर होता

उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

चलो आओ के फिर से अजनबी हो कर मिलें
तुम मेरा नाम पूछो मैं तुम्हारा हाल पूछूँ .

बहुत कुछ कहना है पर कहूँ भी तो किसे कहूँ
ख़ुद से ही इतना ख़फ़ा ख़फ़ा रहता हूँ आजकल

कायनात देखनी है तो महफिल मे चले अाना,
सुना है आज वो महफिल में बेनकाब आ रहे है

ये तो सच है क़ि हमें चाहने वाले बहुत हैं
पर ये भी ज़िद है क़ि हमें सिर्फ तुम चाहो

मुझे हीर रांझा की कहानियां मत सुना
ए इश्क़
सीधा सीधा बोल के मेरी जान चाहिए.

उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती…!!!

कैसे ये कह दूं की उससे मोहब्बत नहीं.
मुँह से निकला झूठ आँखों से पकड़ा जायेगा..!!

नजर से दूर रह कर भी किसी की सोच में रहना
किसी के पास रहने का तरीका हो तो ऐसा हो

अकसर वही रिश्ता लाजवाब होता है
जो ज़माने से नहीं ज़ज़्बातों से जन्मा होता

क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो
हम लोग मुहब्बत की कहानी में मरे हैं

हमने तो एक ही शख्श पर चाहत ख़त्म कर दी
अब मुहब्बत्त किसको कहते है मालूम नहीं