फिर नहीं बस्ते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैं,
कब्रे जितनी भी सजा लो, कोई ज़िंदा नहीं होता .

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का
कभी खुद से भी पूछा है इतनी खूबसूरत क्यूँ हो

कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करते है
सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करते है

बड़ी सादगी से उसने कह दिया रात को सो भी लिया कर
रातों को जागने से मोहब्बत लौट नहीं आती
er kasz

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
er kasz

मेरे पीठ पर जो जख्म है वो अपनों की निशानी हैं
वरना सीना तो आज भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है

ज़िंदगी की इस कश्मकश में वैसे तो मै भी बहुत उलझा हूँ
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नही आता

हथेली पर रखकर नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है
अजीब फ़ितरत है उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है

Khud hi de jaoge to behtar hai
Warna hum dil chura bhi lete hain

LaBh sE aGaR bAat nhi kR sKte toh
AAnkhon hi aAnkhon mE bAat hOnE dO

Hai duriya to kya hua
aj bhi pyar tumko najro se nahi dil se karta hu

Bharosa Dua Wafa Khawab Maan Mohabbat
Kitne Naam on Mein Simte Ho Sirf Ek Tum

Hasne ko chand lamhe, rone ko umar sari
agar hai manjur to karlo ishq se yaari

Bada ajeeb hota hai yeh muhabbat ka khel bhi
Ek thak jaye to dono har jaty hain

Agar palak pe hai moti to ye nahin kaafi
Hunar bhi chahiye alfaaz me pironay Ka