जी भर कर जुल्म कर लो......
क्या पता मेरे जैसा कोई बेजुबान तुम्हें फिर मिले ना मिल*::*""!! Er kasz

अपने कदम के निशान मेरे रास्तो से हटा दो
कही ये न हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाउ

मालुम था कुछ नही होगा हासिल लेकिन
वो इश्क ही क्या जिसमें खुद को ना गवायाँ जाए
er kasz

ज़ालिम ने मेरा खत बड़ी बेदर्दी से फाड़ा
मेरे अल्फाज़ की हिचकियां मेरे घर तक आईं

न कहा करो हर बार की हम छोङ देंगे तुमको
कयोंकि न हम इतने आम हैं न ये तेरे बस की बात है

यूँ तो मुझे बदनामी अपनी अच्छी नही लगती
मगर लोग तेरे नाम से छेड़ें तो बुरा नही लगता

नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो
er kasz

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया उठाते
जिनकी हमें छूने कीऔकात नहीं होती
Er kasz

उसने थामा था मेरा हाथ उस पार जाने के लिये
मेरी एक ही तमन्ना थी कि कभी किनारा न आए
er kasz

तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ
और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की
हर आँख मेरी तरह मुहोब्बत की नही होती

वो कहती है की में उसकी झूठी तारीफें करता हूँ
या खुदा तू आईने को भी जुबान देकर तो देख

लाख समझाया उसको कि दुनिया शक करती है
मगर उसकी आदत नहीं गई मुस्कुरा कर गुजरने की
Er kasz

मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है
छोटा इंसान बडे मौके पर काम आ सकता है

रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए
पहले जाँ फिर जान-ए-जाँ फिर जान-ए-जाना हो गए