सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मुहोब्बत का
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं
er kasz

एक तुम एक तुम्हारी आँखें और एक मेरी मोहब्बत
इनमें से कोई एक तो है जो मुझे मरने नहीं देती

चन्द लम्हें जो गुज़ार आया हूँ अंजानो के साथ
दिल नहीं लगता मेरा अब जाने पहचानों के साथ
er kasz

आज रात चाँद बिल्कुल तुम्हारे जैसा है
वही हुस्न वही गुरुर और वही तुम्हारी तरह मुझसे दूर

राज तो हमारा हर जगह पे है पसंद करने वालों के दिल में और
नापसंद करने वालों के दिमाग में
er kasz

कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
er kasz

मुस्कुराने के अब बहाने नहीं ढूँढने पड़ते
तेरा नाम लेता हूँ ये तमन्ना भी पूरी हो जाती हैं

लफ़्जो को पिरोने का हुनर, सिखा तुम्ही से हमने
हर लफ्ज हम अब, सिर्फ तेरे लिए ही लिखते हैं
er kasz॥

क़यामत टूट पड़ती है जरा सी उसके होट हिल जाने पे
न जाने क्या हस्र होगा जब ओ खुलकर मुस्करायेगे

ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब
वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया
er kasz

प्यार मोहब्बत आशिकी..
ये बस अल्फाज थे..
मगर.. जब तुम मिले..
तब इन अल्फाजो को मायने मिले !!
•• Er kasz

हुश्न ए मल्लिका सपनों की रानी बड़ी ही लाजवाब है
एक मेरे ही दिल नहीं वो तो लाखों दिल की ख्वाब है

जिस नजाकत से ये लहरे मेरे पैरों को छूती है
यकीन नही होता इन्होने कभी कश्तियाँ डूबाई होगी
Er kasz

मेरे किरदार का फैसला मेरे लफ़्ज़ों से न करना
क्योंकि मैं लिखता वही हूँ जो तुम लिखवाते हो
Er kasz

बस एक बार आ के अपना चेहरा तो दिखा जा
कि अब तो तेरी तस्वीर भी धुंधली पड गई है हमारे बार-बार चुमने से