सुन कर ग़ज़ल मेरी वो अंदाज़ बदल कर बोले
कोई छीनो कलम इससे ये तो जान ले रहा है
er kasz
सुन कर ग़ज़ल मेरी वो अंदाज़ बदल कर बोले
कोई छीनो कलम इससे ये तो जान ले रहा है
er kasz
यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे
कि इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी...
मुनासिब होगा कि अब मेरा हिसाब कर दे...!!” Er kasz
जवानी में दिल भी बड़ा शैतान होता है
जो चीज अच्छी होती है उधर ही ध्यान होता है
कायनात देखनी है तो महफिल मे चले अाना
सुना है आज वो महफिल में बेनकाब आ रहे है
ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे
er kasz
सब तेरी मोहब्बत की इनायत है
वरना मैं क्या मेरा दिल क्या मेरी शायरी क्या
er kasz
कोई और गुनाह करवा दे मुझ से मेरे खुदा
मोहब्बत करना अब मेरे बस की बात नहीं
er kasz
खामोश हूँ सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिये
ये न सोंचना कि मेरा दिल दुःखता नहीं
जानता हूँ मगर फिर भी पूछना चाहता हूँ
तुम आईना देखकर बताना मेरी पसंद कैसी है
तुझको खबर नहीं मगर एक बात सुन ले..!!
बर्बाद कर दिया तेरे दौ दिन के प्यार ने !! 😌😌 Er kasz
मुझे ही क्यूँ देती हो प्यार का इलज़ाम
कभी खुद से भी पूछो इतनी प्यारी क्यूँ हो
नजर की लाज बच गई तुझे देखकर ऐ जानेजां
वरना मैं तो नाराज था बेवफाओं के जहान से
तेरी आँखों की तोहीन नही तो और क्या है
मैंने देखा तेरा चाहने वाला शराब पीता है
मै उसे चाँद कहदूँ ये मुमकिन तो है
लेकिन लोग उसे रातभर देखें ये मुझे गवारा नही