बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा
Er kasz

ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे

दुनिया में तो और भी होंगे तेरे जैसे
पर मेने तूझे चाहा ह तेरे जेसे को नहीं

तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात
तेरे नाम से इस क़दर इश्क़ है मुझ को

आज टूटेगा गुरूर चाँद का बस तुम देखना यारो
आज मेने उनसे छत पर आने को कहा है

नजर है बदली बदली सी अदा है जानी पहचानी
तुझे हम मान गए मान गये मान गये जानी

बदला हुआ वक़्त है ज़ालिम ज़माना है
यहां मतलबी रिश्ते है फिर भी निभाना है
Er kasz

जिस्म है शीशे का पत्थर का जिगर रखते हैं
इसलिए तो हम तुम्हारे ऊपर मरते हैं

क्यों बार बार देखती हो शीशे को तुम
नजर लगाओ गी क्या मेरी इकलोती मोहोबत को

चमन के फूल भी तुमको गुलाब कहते है
एक हम ही नहीं सभी तुम्हे लाजवाब कहते हैं

शुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो

अब न पूछेंगे तेरा हाल बाग़ की कलियों से
अब तेरी खुशबू तेरी पहचान को काफी है.

कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक़ात उसने
की मुद्दत से ढूंढ़ रहा हु कसूर अपना
er kasz

तुम्हें देखकर किसी को भी यकीन नही
कि मेरे दिल का ये हाल तुमने ही किया है
er kasz

लगाई तो थी आग उनकी तस्वीर में रात को
सुबह देखा तो मेरा दिल छालो से भर गया
er kasz