फल आते ही सबकी नियत मौसम जैसी बदलेगी पेड़ के नीचे
बैठने वाले पेड़ पर पत्थर फेकेंगे
फल आते ही सबकी नियत मौसम जैसी बदलेगी पेड़ के नीचे
बैठने वाले पेड़ पर पत्थर फेकेंगे
प्रेम बचपन में मुफ्त मिलता है जवानी में कमाना पड़ता है
और बुढ़ापे में माँगना पड़ता है
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए,
फिर रूठकर वक़्त गंवाने की जरूरत क्या है !
Er kasz
बड़ी शिद्द्त से राजी हुए है वो साथ चलने को ...
खुदा करे के मुझे सारी जिंदगी मंजिल न मिले....
बेशक रो-रोकर हमने अपनी जिंदगी गुजारी है
फिर भी मेरी जिंदगी से आपकी जिंदगी प्यारी है
यह भी अच्छा है की हम किसी को अच्छे नहीं लगते
चलो कोई रोयेगा तो नहीं हमारे मरने के बाद...
मुझे इस जहाँ में आये तो काफी वक़्त हो गया,
बस लोगो को नज़र आता हूँ उनकी जरुरत के हिसाब से...
इस ज़माने में दो दिल मिलते है बड़ी मुश्किल से
जिंदगी की हर राह जुडी है प्यार की मंजिल से
तेरी महोबत् का खेल नहीं समझा मैं
वरना मैने खेल तो इतने खेले हैं और कभी हारा भी नहीं!
=RPS
मगन था मै सब्ज़ी में नुक़्स निकालने मे
और कोई खुदा से सुखी रोटी का शुक्र मना रहा था
er kasz
सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता
er kasz
हाल तो पुछ लु तेरा, पर डरता हुँ आवाज़ से तेरी
जब जब सुनी है कमबख़्त मोहब्बत ही हुई है
Er kasz
मुकद्दर में लिखा के लाये हैं दर-ब-दर भटकना.
मौसम कोई भी हो परिंदे परेशान ही रहते हैं
er kasz
मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता !!Er kasz
चूम लेती है लटक कर कभी चेहरा तो कभी लब..!
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तुमने अपनी जुल्फों को बहोत सिर पे चढ़ा रखा हे !Er kasz