भूल जाने का मशवरा और जिँदगी बनाने की सलाह
ये कुछ तोहफे मिले है हमे उनसे आखिरी मुलाकात मे

डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो
और फिर कश्ती का बोझ कहकर हमे ही उतारा गया

मै बैठूंगा जरूर महफ़िल में पर पीऊंगा नही
क्योंकि मेरा ग़म मिटा दे इतनी शराब की औकात नही
er kasz

कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
er kasz

ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब
वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया
er kasz

एक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा
क़रीब से गुज़रा हर शख़्श पूछता है कौन सा इत्र है जनाब
Er kasz

प्यार मोहब्बत आशिकी..
ये बस अल्फाज थे..
मगर.. जब तुम मिले..
तब इन अल्फाजो को मायने मिले !!
•• Er kasz

क्या खूब हुनर है तेरा मेरे बस्ते से कोई पेंसिल नही चुरा सका
और तू सीने से दिल उड़ा कर चल दी
er kasz

तुझसे मोहबत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,
ज़र्रे ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है...Er kasz

मेरी आँखों के जादु से अभी तुम कहा वाकिफ हो ,
हम उसे भी जीना सिखा देते हे जिसे मरने का शौक हो.
er kasz

जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं.
तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं...!

सुना है तेरी नज़रों से क़तल हो जाते हैं लोग
एक नज़र से हम को भी देख लो अब ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती...

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा
जिन्हे दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा..

मेरे किरदार का फैसला मेरे लफ़्ज़ों से न करना
क्योंकि मैं लिखता वही हूँ जो तुम लिखवाते हो
Er kasz

एक सुकून की तलाश मे जाने कितनी बेचैनियां पाल ली
और लोग कहते है हम बडे हो गए हमने जिंदगी संभाल ली